मैं अगर सितारों से चुराके लाऊँ रौशनी
हवाओं से चुराके लाऊँ रागिनी
न पूरी हो सकेगी उनसे मगर
तेरी कमी
मैं अगर नज़ारों से चुराके लाऊँ रंगतें
मज़ारों से चुराके लाऊँ बरक़तें
न पूरी हो सकेगी उनसे मगर
तेरी कमी
ये दुनियां परायी है
बस इक अपना है तू
जो सच हो मेरा वो
सवेरे का सपना है तू
देखूंगा तेरा रास्ता
हो कुछ तुझे ख़ुदा ना खास्ता
हो.. तेरे बिना उम्र के
सफ़र में बड़ा ही तन्हा हूँ मैं
रफ्फ्तार जो वक़्त की
जो पकड़ ना सके वो लम्हा हूँ मैं
फागुन के महीने
तेरे बिना है फिंके
जो तू नहीं तो सारे
सावन मेरे सूखे..
मैं अगर किताबों से चुरा के लाऊं क़ायदे
हिसाबों से चुरा के लाऊं फ़ायदे
न पूरी होसकेगी उनसे मगर
तेरी कमी
मैं अगर सितारों से चुराके लाऊँ रौशनी
हवाओं से चुराके लाऊँ रागिनी
न पूरी होसकेगी उनसे मगर
तेरी कमी
ये दुनियां परायी है
बस इक अपना है तू
जो सच हो मेरा वो
सवेरे का सपना है तू
देखूंगा तेरा रास्ता
हो कुछ तुझे ख़ुदा ना खास्ता
खास्ता..